बुधवार, 5 नवंबर 2008


मुंबई में मनसे के लोगों द्वारा बिहार और यूपी के लोगों के खिलाफ जारी मुहिम अभी तो कुछ शांत दिखाई देती है, छठ भी शांतिपूर्वक गुजर गया. पर समस्या सुलझी नहीं है. बिहार आंदोलित है. मनसे के नेता राज ठाकरे भी बिहारी युवक राहुल राज की पुलिस गोली से हत्या और गोरखपुर के धर्मदेव राय की मनसे कार्यकर्ताओं के हाथों हुई हत्या और दिखावे की ही सही अदालती कार्रवाई के बाद शायद पुरबिया लोगों पर हमले का नया बहाना ढूंढ रहे हैं. बहरहाल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे के विवादास्पद बयानों के बाद महाराष्ट्र में जो बवाल मचा है, उसपर राष्ट्रीय जनता दल के सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव से द संडे इंडियन के कार्यकारी संपादक ओंकारेश्वर पांडेय ने कुछ समय पहले खास बातचीत की.

- मुंबई में रेलवे की परीक्षा देने गए उत्तर भारतीय छात्रों से लेकर वहां रह रहे टैक्‍सी वालों और लोकल बसों, ट्रेनों में चल रहे निर्दोष लोगों को निशाना बनाया गया. आपकी क्या प्रतिक्रिया है. राज ठाकरे राज पाने और अपनी राजनीति चमकाने के लिए हिटलर शाही पर उतर आए हैं. जिसमें नीति नदारद है. और इससे देश की एकता और अखंडता गंभीर खतरे में पड़ गयी है. उनके भड़काउ बयानों और इशारों पर मुंबई में यूपी-बिहार समेत समूचे उत्तर भारत के लोगों पर हमले हो रहे हैं. इसके चलते एक परीक्षार्थी की मौत भी हो गयी, अनेक लोग घायल हुए हैं. इससे बिहार-यूपी से लेकर देश भर में आक्रोश है.


एमएनएस समर्थकों भोजपुरी फ़िल्में दिखा रहे कुछ सिनेमाघरों को भी निशाना बनाया. इस सारे बवाल के बाद राज ठाकरे की गिरफ्तारी हुई और उन्हे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. क्या यह काफी है.
- नहीं यह नाकाफी है. राज ठाकरे भारतीय संविधान को धत्ता बता रहा है. देश की एकता को चोट पहुंचा रहा है. एक बीमार मानसिकता का आदमी समूचे महाराष्ट्र में तंडव मचा रहा है. उसे तो मीसा के तहत गिरफ्तार कर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए. यह गिरफ्तारी तो नॉर्मल है. यह काफी नहीं है.
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इससे पहले भी जया बच्चन के हिंदी बोलने पर राज ने उनके खिलाफ जहर उगला. राज समर्थकों ने बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के बंगले को निशाना बनाया. और इस सबके बाद राज बेधडक कहते रहे हैं माझी भूमिका, माझा लढा (महाराष्‍ट्र में छपा उनका आलेख-मेरी भूमिका मेरी लडाई) यानी जो हो रहा है वह अच्‍छा हो रहा है! याने राज ये सब करते रहेंगे.

- इसीलिए हम कह रहे हैं कि राज को गिरफ्तार करने भर से कुछ नहीं होगा. राज ठाकरे और एमएनएस के लोग जो कुछ कर रहे हैं, वह एक नये किस्म की आतंकवादी गतिविधि है. क्षेत्रीयता और भाषा के आधार पर ये जो दहशत फैलाया जा रहा है, वह आतंकवाद से कम नहीं है.


राज मुंबई की मराठी अस्‍मिता और संस्‍कृति को अपनाने की बात करते हुए कहते रहे हैं कि यदि महाराष्‍ट्र में रहना है तो यहां की हर चीज को अपनाना होगा. उधर झारखंड की एक छोटी क्षेत्रीय पार्टी ने राज का समर्थन किया है.

- यही खतरनाक है. झारखंड की वह पार्टी भी राज ठाकरे की तरह वहां से अन्य राज्यों के लोगों को भगाना चाहती है. इसी तरह अन्य प्रांतों में भी घटनाएं घटने लगीं तो क्या देश बच सकता है. इससे देश टूट जाएगा. इसलिए इस मामले में केन्द्र सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए.

पर अभी तक तो केन्द्र सरकार ने कोई कार्रवाई की है ऐसा नहीं लगता.

- देखिए, राज गिरफ्तार हुए हैं. यह केन्द्र सरकार के इशारे पर ही हुआ होगा. लेकिन इसके बाद भी तोड़फोड़ जारी है. राज्य इसको रोकने में विफल होता है तो केन्द्र की जिम्मेवारी बनती है. उत्तर भारतीय लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए केन्द्र को कड़ा कदम उठाना चाहिए. और यह नुकसान हो जाने के बाद न हो.

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